तब हमें तंत्र की क्या जरुरत ? पीट लें छाती या पीट लें कप्पार परिजन निःसहाय थे अन्याय का परिदृश्य ... तब हमें तंत्र की क्या जरुरत ? पीट लें छाती या पीट लें कप्पार परिजन निःसहाय थे ...
फिर कुछ दिनों बाद सब मौन इंतजार में एक और निर्भया के। फिर कुछ दिनों बाद सब मौन इंतजार में एक और निर्भया के।
हम बिना जाने सुने इस यंत्र से मित्रों की जमात को बढ़ाने की दौड़ में लग गए ! हम बिना जाने सुने इस यंत्र से मित्रों की जमात को बढ़ाने की दौड़ में लग गए !
दर्द इतना न दो कि कोई भी दर्द, दर्द ना रहे। दर्द इतना न दो कि कोई भी दर्द, दर्द ना रहे।
नए उत्साह के साथ आज हम, स्वागत कर लें नव वर्ष का। नए उत्साह के साथ आज हम, स्वागत कर लें नव वर्ष का।
नए साल पर धूप, रहे खुशियों की बिखरी। नए साल पर धूप, रहे खुशियों की बिखरी।